‘प्रज्ञा‘ जर्नल विश्वविश्रुत काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की प्रसिद्ध शोध पत्रिका है। यह पत्रिका सन् 1958 ई0 से लेकर आज तक काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की समृद्ध वैदुष्य परम्परा का निरन्तर संवहन करती चली आ रही है। यह पत्रिका हिन्दी, अंग्रेजी एव संस्कृत भाषा में प्राची एवं प्रतिची ज्ञान की विविध शाखाओं से संबन्धित स्तरीय शोध-प्रपत्र/लेख प्रकाशित करती है और साथ ही इस महान विश्वविद्यालय के संस्थापक प्रातः स्मरणीय पूज्य महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी के विचारों, संकल्पों एवं सपनों को समृद्ध करने हेतु निरन्तर प्रयत्नशील है। हर्ष का विषय है कि देश-विदेश के अनेक मनीषियों एवं विश्वविद्यालय परिवार के ख्याति प्राप्त ढेर सारे विद्वानों का हमें निरन्तर सकारात्मक शैक्षणिक सहयोग मिलता रहा है, जिससे इस पत्रिका की ख्याति अन्तरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय जगत में दिनों दिन बढ़ती जा रही है। आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि भविष्य में अनेक मनीषियों, चिन्तकों एवं विद्धानों का हमें शैक्षणिक सकारात्मक सहयोग मिलता रहेगा, जिससे हम महामना द्वारा प्रज्वलित इस ज्ञान-यज्ञ को भविष्य में और भी अधिक भास्वर एवं तेजस्वी स्वरूप प्रदान करते रहेंगे। ध्यातव्य है कि यह पत्रिका अर्धवार्षिक है जो एक सत्र में दो बार प्रकाशित होती है।
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